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Friday, July 5, 2024

अषाढ़ी अमावस्या में श्रद्धालुओं ने मन्दाकिनी में लगाई डुबकी

भक्तों ने परिक्रमा की, डीएम-एसपी ने मेला का किया निरीक्षण

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । अषाढ़ माह अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाकर कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा की। देर रात से सवेरे तक हजारों श्रद्धालुओं ने रामघाट स्थित मंदाकिनी में स्नान को भारी भीड उमडी। दोपहर तक ये भीड लाखों में तब्दील हो गई। शुक्रवार को मेला निरीक्षण में पहुंचे डीएम शिवरणप्पा जीएन व एसपी अरुण कुमार सिंह ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मौसम ने भी आस्थावानों का साथ दिया। काली घटाओं के साये में धूप व उमस भरी गर्मी ने ज्यादा परेशान नहीं किया। पुलिस प्रशासन की ओर से संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे। चित्रकूट में हर माह की अमावस्या का अपना अलग महत्व है।

 रामघाट व परिक्रमा का दृश्य।

अषाढ़ माह अमावस्या मेले में भगवान श्रीराम की तपोभूमि में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। अनुमान के अनुसार तीन से पांच लाख श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाई। अमावस्या मेला में देर रात से सवेरे तक हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रेलवे स्टेशन, बस अड्डे पर उमड़ी थी। रामघाट जाने को लोग आतुर दिखे। आस्थावानों का सैलाब पुण्य की डुबकी लगाने को बेताब दिखा। सवेरे से लेकर दोपहर तक लाखों की तादाद में लोगों ने स्नान किया। विभिन्न राज्यों समेत देश-प्रदेश के कई हिस्सों से आये श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगा मत्स्यगयेन्द्रनाथ महाराज का जलाभिषेक किया। भगवान कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई।


जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान माहौल में लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का जत्था भजन-कीर्तन करते नजर आया। वनवास काल दौरान श्रीराम ने जहां कुछ समय बिताया था, वहां जाने को लोग आतुर दिखे। ऐसे धार्मिक स्थानों पर आकर लोगों ने खुद को धन्य माना। तपोस्थली में हर माह की अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता कई धार्मिक ग्रन्थों में है कि वनवास काल के प्रवास दौरान हर अमावस्या में मंदाकिनी नदी में स्नान कर प्रभु श्रीराम कामदनाथ पर्वत की परिक्रमा करते हैं। लंका विजय बाद अयोध्या जाते समय उन्होंने कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई थी। वरदान दिया था कि प्रत्येक अमावस्या पर मंदाकिनी में स्नान व कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा करने से मनुष्य की सारी मनोकामनायें पूरी होंगी व कष्ट दूर होंगे। इसी मान्यता के चलते हर अमावस्या में भारी तादाद में श्रद्धालु यहां आते हैं।


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