उगते सूर्य को दिया अर्घ्य, छठी मईया को लगा ठेकुआ का भोग - Amja Bharat

Amja Bharat

All Media and Journalist Association

Breaking

Friday, November 8, 2024

उगते सूर्य को दिया अर्घ्य, छठी मईया को लगा ठेकुआ का भोग

चार दिवसीय छठ महापर्व उत्साह के साथ हुआ संपन्न 

व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर मांगी सुख-समृद्धि 

फतेहपुर, मो. शमशाद खान । चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार को संपन्न हो गया। व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और छठी मैया को नमन किया। सुबह-सुबह भगवान भास्कर के उषा किरण को सभी ने पूरी श्रद्धा से आराधना की। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का महापर्व संपन्न हो गया। ओमघाट के गंगा घाट, बांके बिहारी मंदिर, पीएसी परिसर समेत अन्य स्थानों में छठ पूजा की गई। 36 घंटे का निर्जला उपवास के महापर्व के दौरान नदी और तालाबों में छठ व्रतियों के श्रद्धा का विहंगम दृश्य देखने को मिला। शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतियों ने पूरे विधि विधान से छठी मैया की पूजा-अर्चना की। इसके बाद व्रत का पारण किया। व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हुआ। खासकर पूर्वांचल में बडे ही उत्साह के साथ छठ पूजा मनाया जाता है। दोआबा के भी कई स्थानों में व्रतियों ने पानी में उतरकर छठी मैया की आराधना की। यह व्रत छठी मैया और भगवान भास्कर को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि होती है।

छठ महापर्व पर बांके बिहारी मंदिर में पूजा-अर्चना करतीं महिलाएं।

चार दिनों तक चला महापर्व

पूर्वांचल के लोगों ने बताया कि इस व्रत के कठिन नियम हैं, जिसमें व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। सूर्य उपासना का महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाए खाए के साथ शुरू हुआ था। इस दिन व्रती स्नान ध्यान कर लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल का भोग लगाए थे। चार दिन बाद शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की गई।

कौन हैं छठी मईया

माना जाता है कि छठी मईया सूर्यदेव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए सूर्य और जल की महत्ता को मानकर आराधना की जाती है। मार्कण्डेय पुराण में उल्लेख है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति की देवी ने खुद को 6 भागों में बांटा है। उनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है। छठे स्वरूप को ही छठी मईया के नाम से जाना जाता है।

पुराणों में छठी मईया की चर्चा

मां कात्यानी पुरानों में इन्हें मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यानी कहा गया था। इसलिए दिवाली से छह दिन बाद माता के षष्ठी (छठा) सनरूप छठी मईया की आराधना की जाती है। सनातन धर्म में बच्चे के जन्म के छठे दिन इन्हीं माता की पूजा की जाती है।


No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages