चांदरात पर बाजारों में उमड़ी खरीददारों की भीड़
फतेहपुर, मो. शमशाद । रमजान के 29 वें दिन चांद का दीदार करते ही रोजदार खुशी से झूम उठे और एक-दूसरे को चांद की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चांद देखते ही आतिशबाजी व गोले दागे गए। ईद की तैयारियां यूं तो रमजान माह के आधे रोजे पूरे होने के बाद शबाब पर पहुंचने लगती है लेकिन चांद निकलने के बाद ईद की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए बाजार में जो हुजूम लोगों का उमड़ता है तो भीड़ देखते ही बनती है। खरीददारी करने के लिए हर दुकान में महिलाएं और पुरूष जमा रहे। न महंगाई का असर दिखाई दिया और न सस्ते, महंगे सामान की फिक्र रही। फिक्र रही तो सिर्फ इस बात की कहीं कोई सामान लेने से छूट न जाए। चांदरात में दुकानदारों की चांदी रही।
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रंग-रोगन के बाद ईदगाह परिसर एवं चूड़ी की खरीददारी करतीं महिलाएं। |
रविवार को ईद के चांद का दीदार करने के बाद ईद की तैयारी में जो सामान खरीदने से रह गया था, उसे खरीदने के लिए चौक बाजार एवं मुस्लिम चौक में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सिलाई की दुकानों में सिलकर तैयार हुए कपड़ों को लेने के लिए लोगों की लाइन लगी रही। रेडीमेड गारमेन्ट्स में सिले सिलाए कपड़ों की खरीददारी करने के लिए युवाओं का तांता लगा रहा। जींस, टी-शर्ट, शर्ट के साथ नए फैशन के कुर्ते युवाओं का आकर्षण रहे। कपड़ों के साथ-साथ जूता, चप्पल व बेल्ट की खरीददारी के लिए भी ऐसे भीड़ लगी रही। चूड़ी गली में चूडियों से लेकर सभी श्रृंगार संबंधित सामग्रियों की खरीद के लिए महिलाओं का रेला रहा। खुशियों के पर्व ईद पर नई वेशभूषा के साथ ही मुख्य पकवान की सामग्री की दुकाने भी काफी सजी रहीं। जिसमें लोगों की भीड़ देर रात तक लगी रही। सेंवई, सूतफेनी, चीनी, मेवा, खोवा, दूध आदि की खरीददारी देर रात तक चलती रही। उधर ईद की नमाज को तैयार ईदगाह समेत जिले की सभी मस्जिदों में रंगाई-पुताई का काम पहले ही करा दिया गया था। बेहतर ढंग से परिसर की साफ-सफाई भी कराई गई। ईदगाह व मस्जिदें ईद की नमाज के लिए तैयार हैं।
ईदगाह में साढ़े आठ बजे होगी नमाज
फतेहपुर। चांद का दीदार करने के बाद नायब शहरकाजी सैय्यद हबीबुल इस्लाम ने बताया कि ईदगाह में निर्धारित समय प्रातः साढ़े आठ बजे ईद की नमाज अदा की जाएगी। उन्होने मुस्लिम समुदाय के लोगों का आहवान किया कि निर्धारित समय का ध्यान रखते हुए ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए नमाजी पहुंचने का काम करें। पर्व को मिल-जुलकर आपसी भाईचारे के बीच मनाएं। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे किसी की भावनाओं को ठेंस पहुंचे।
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