देश की आजादी के प्रति समर्पित रहे क्रांतिवीर गोपीनाथ - Amja Bharat

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Wednesday, March 19, 2025

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देश की आजादी के प्रति समर्पित रहे क्रांतिवीर गोपीनाथ

महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर अंग्रेजों के छुड़ाए छक्के

बांदा, के एस दुबे । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सुभाष, आजाद के निकट सहयोगी रहे जनपद के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित गोपीनाथ दनादन सच्चे गांधीवादी विचार धारा के पोषक रहे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सेनानी, प्रख्यात राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक, उत्साही व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक अच्छे संगठनकर्ता और पीड़ितों के उत्थान लिए कार्य करने वाले थे। उन्होंने सन 1921 में गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर देश की आजादी के लिए आगे आए। 1928 में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार आंदोलन में शहर के शंकर गुरु चौराहे पर विदेशी कपड़ों की होली जलाई, गिरफ्तार हुए और 3 माह जेल में निरूद्ध रहे, 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन में गिरवाँ बांदा के जंगलों में नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा, गिरफ्तार कर जेल भेजा गया 6 माह तक निरूद्ध रहे। भारत छोड़ो आंदोलन में प्रधान डाकघर, रेलवे स्टेशन में तोड़-फोड़, आगजनी करने पर

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गोपीनाथ दनादन

गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। एक वर्ष तक जेल में रहे एवं जेल में बैरिक नंबर 10 में रखे लाखों रुपए मूल्य का जूट का सामान जलाने पर धारा 52 प्रिंट के अंतर्गत 13 माह तक काल कोठरी (तनहाई) में नजर बंद रहे। 1927 में गुप्त रूप से चंद्रशेखर आजाद व 1941 में सुभाष चंद्र बोस पंडित दनादन जी के घर पर आए और 2 दिन 1 रात रुककर आजादी के दीवाने क्रांतिकारियों के साथ बैठकर स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति बनाई और प्रागी मंदिर में आजाद द्वारा शस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1929 में गांधी फतेहपुर के रास्ते बांदा आए उनके साथ जनमानस में देश प्रेम भावना बलवती करने के लिए यात्राएं की गई, वहीं 1952 में आचार्य विनोबा भावे जी के भूदान आंदोलन में शामिल हुए। आप भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी, मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी एवं महामहिम राज्यपाल मोतीलाल बोरा द्वारा ताम्रपत्र, सम्मान पत्र, मैडल लगाकर सम्मानित हुए। अस्तु हम सब स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति श्रद्धावनत है, जिनके त्याग और तपस्या के फलस्वरुप देश स्वतंत्र हुआ और परतंत्रता की श्रृंखला से मुक्ति मिली। आइए हम सब मिल-जुलकर क्रांतिवीरों से प्रेरणा प्राप्त कर उनके सपनों का भारत बनाने में अपना अमूल्य योगदान दें।


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