सौहार्द, अमन व तरक्की की दुआ के साथ हुआ इफ्तार
हुसैनपुर, नसेनी, जमवारा व लहुरेटा में वनांगना का आयोजन
बांदा, सुखेन्द्र अग्रहरि । नवाबों के शहर को गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल यूं ही नहीं कहा जाता है, रियासत काल से ही यहां पर सभी धर्म के लोग मिलजुल कर एक दूसरे के त्योहार में शामिल होते रहे हैं। वनांगना संस्था द्वारा संचालित तरंग मेरे सपने मेरी उड़ान कार्यक्रम के तहत आयोजित इफ्तार पार्टी में होली मिलन इसकी बानगी है। कई गांवों में एक साथ हुए रोजा इफ्तार में फूलों की होली खेली गई। देश में आपसी सौहार्द, अमन व तरक्की की दुआ मांगी और एक-दूसरे को गले लगाकर होली की बधाई दी। संस्था ने नरैनी ब्लाक के हुसैनपुर कलां, नसेनी, जमवारा व लहुरेटा गांव में सामूहिक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी झलक
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रोजा इफ्तार पार्टी में मौजूद युवक व युवतियां। |
देखने को मिली। सांझ ढलते ही रोजेदारों और मेहमानों का जनसैलाब दस्तरखान पर उमड़ पड़ा, जहां तरह-तरह के लजीज व्यंजन सजे थे। खजूर, फल, शरबत से लेकर पारंपरिक व्यंजनों और मिठाइयों तक, हर जायके ने इस खास मौके को और भी यादगार बना दिया। इस इफ्तार महफिल में विभिन्न समुदायों के लोगों की गर्मजोशी और भाईचारे की भावना देखते ही बन रही थी। इफ्तार के बाद महिलाओं व किशोरियों ने एक-दूसरे पर फूल बरसाकर होली की बधाई दी। मोहब्बत और सौहार्द के इस रंगीन माहौल ने साबित कर दिया कि गंगा-जमुनी तहजीब की रौशनी आज भी बरकरार है। डायरेक्टर पुष्पा शर्मा ने बताया कि आज जिस तरह का माहौल चल रहा है, उसके
लिए ऐसे कार्यक्रमों का होना जरूरी है। बांदा की संस्कृति ही ऐसी रही है कि सभी धर्म के लोग यहां प्रेम से रहते हैं। एक-दूसरे के त्योहारों में शरीक होते रहे हैं। वरिष्ठ संदर्भदाता समूह शबीना मुमताज ने कहा कि रोजेदारों की दुआएं इस वक्त जरूर कबूल होती हैं। इफ्तार के दौरान रोजेदार अल्लाह के हुक्म का इंतजार करता है, जो संयम और श्रद्धा का प्रतीक है। इस मौके पर शोभा देवी, श्यामकली, माया, आतिफा, इमराना, शाहिना, राहुल, हुसैन, जुनैद, मोईन, माया, रामप्यारी, शीलवती, शिफा, विमला, सावित्री सहित तमाम लोग शामिल रहे।
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