चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । नवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हनुमान धारा मंदिर में जुट रही है। ये मंदिर हनुमान जी के लिए समर्पित है। इसकी जलधारा को चमत्कारी माना जाता है, जो हनुमान जी की पूंछ पर गिरती है। मान्यता है कि ये पवित्र स्थल तब अस्तित्व में आया, जब हनुमान जी लंका जलाने के बाद अपनी जलती पूंछ को शांत करने यहां आये थे। भगवान श्रीराम ने हनुमान जी की पीड़ा को कम करने को अपने बाण से इस जलधारा का निर्माण किया था। पहले इस मंदिर तक पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि श्रद्धालुओं को 618 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं। अब दामोदर रोपवे की मदद से यात्रा सरल हो गई है। श्रद्धालु अब मात्र पांच मिनट में पहाड़ की चोटी पर पहुंचकर
दामोदर रोपवे से यात्रा करते श्रद्धालु। |
हनुमान जी के दर्शन करते हैं। ये 302 मीटर लंबा रोपवे हर घंटे पांच सौ श्रद्धालुओं को ले जाने की क्षमता रखता है। श्रद्धालु चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए मंदिर पहुंचते हैं। ये मंदिर मप्र के सतना जिले व उप्र के चित्रकूट जिले की सीमा पर स्थित है। जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी प्रस्तुत करता है। हनुमान जी की बायीं भुजा पर लगातार गिरती जलधारा और उनकी मुस्कराती मूर्ति श्रद्धालुओं के मन में आस्था का संचार करती है। इस नवरात्रि हनुमान धारा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक बना हुआ है। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनायें पूरी करने को आते हैं।
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