श्रीराम कथा का तीसरा दिन
चित्रकूट ब्यूरो, सुखेन्द्र अग्रहरि : कण-कण में भगवान है तथा भक्त का भाव ही परमात्मा को प्रगट कर सकता है। भगवान के जन्म के अनेक कारण है, परन्तु मानस में पांच कारणो का वर्णन किया गया है। श्रीराम कथा वाचिका माधवी ने कथा के तीसरे दिन भक्तगणों को श्रीराम कथा का रसपान कराया। जिला मुख्यालय के वृंदावन गार्डन में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन सोमवार को श्रीराम कथा वाचिका माधवी ने श्रीराम जन्मोत्सव की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि मानस में भगवान के जन्म के पांच कारणों का उल्लेख मिलता है। जिसमें पहला कारण जय और विजय का श्राप, दूसरा कारण सति वृन्दा का श्राप, तीसरा कारण मनु सतरूपा का तप और भगवान द्वारा उन्हे वरदान, चौथा कारण नारद का श्राप व पांचवा कारण राजा प्रताभानु का श्राप है। कथा के दौरान श्रीराम जन्म के
भजन सुनकर सभी भक्तगण मन्त्रमुग्ध हो गए। बताया कि प्रेम मे पड़कर भागवत भक्त की गवाही भी देते है। बताया कि एक न्यायाधीश थे, जो बाद मे संत हो गये। कारण पूछने पर उन्होने एक बार उनकी अदालत में एक मुकदमा आया। जिसमे एक गरीब के उपर एक सेठ ने झूठा आरोप लगाया था। गरीब की गवाही देने भगवान खुद उनकी अदालत में आए। बाद में जब न्यायाधीश को यह पता चला कि भगवान उनकी अदालत में गवाही देने आए थे। उसके बाद वह न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देकर संत बन गए। कथा वाचिका ने कहा कि प्रेम के कारण ही भगवान अपने भक्त की गवाही देने आए थे। कहा कि यदि प्रभु को पाना है, तो उनसे प्रेम करिए। भगवान प्रेम के कारण ही माता कौशिल्या की गोद मे खेले, प्रेम के कारण ही माता शबरी के बेर खाए, प्रेम के कारण ही भगवान का अवतार होता है। इस मौके पर श्रोतागण मौजूद रहे।
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