कूफा की मस्जिद में हजरत अली पर इब्ने मुल्मि ने किया था हमला
फतेहपुर, मो. शमशाद । कूफा है गम में डूबा शहादत अली की है, इन्ही मातमी सदाओं के बीच बुधवार की देर रात शहर के बाकरगंज स्थित समरतुलऐन नकवी (ईसा) के आवास से एक मातमी जुलूस अलम व ताबूत के साथ बरामद हुआ। अपने पारम्परिक रास्तों से होता हुआ इमामबारगाह बाकरगंज में जाकर समाप्त हुआ। पैगम्बर मोहम्मद साहब के दामाद व शियों के पहले इमाम इजरत अली के तीन दिवसीय शोक का आगाज नौहा व मातम के बीच शिया समुदाय के लोगों ने मनाया। जिसका पहला दिन रहा। बताते चलें कि पाक महीने रमजान की 19 तारीख को सुबह की नमाज के वक्त इराक के शहर कूफा की मस्जिद में हजरत अली के ऊपर इब्ने मुल्जिम ने हमला किया था जिसमें घायल होने के बाद 21 रमजान को उनकी शहादत हो गई। जिसे आज भी दुनिया भर में
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हजरत अली की शहादत पर मातमी जुलूस निकालते शिया समुदाय के लोग। |
समुदाय के लोग मातम व नौहों की सदाओं के बीच मनाते हैं। जुलूस के पूर्व ईसा के घर पर हुई मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना आबिद रिजवी ने हजरत अली के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया को चाहिए कि हजरत अली द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर समाज में एकता व जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए खड़े होना चाहिए। उन्होने कहा कि जिस तरह अली पर मस्जिद में हमला हुए उससे हमे ये पता चलता है कि हम पर हमेशा जुल्म हुआ और हमें जुल्म के खिलाफ आवाज बनकर खड़े होना पड़ेगा। मातमी जुलूस में शहर के अंजुमन अब्बासिया व अंजुमन जाफरिया ने नौहा व मातम का पुर्सा पेश किया। इस मौके पर यावर मेंहदी एडवोकेट, सईदुल हसन, मेंहदी हसन, सब्दर जैदी, गुफरान नकवी, अमन नकवी, मुख्तार हसन, फरदीन रिजवी, रजा हुसैन, रमीश जाफरी, फरहत अली, सदफ अली सहित समुदाय के तमाम लोग मौजूद रहे।
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