चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में संविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय शाखा विधान भवन लखनऊ के तत्वावधान में भारतीय न्याय संहिता-2023ः समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी की गई। गोष्ठी का शुभारंभ जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य सहित गणमान्य अतिथियों द्वारा माता सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलित कर किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता-2023 भारतीय न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो समाज में न्याय और सशक्तिकरण की भावना को और अधिक मजबूती देगा। कहा कि न्याय का अर्थ केवल अपराध पर दंड देना नहीं, बल्कि समाज में सद्भाव और अनुशासन बनाए रखना भी है। उन्होंने इस कानून में कुछ आवश्यक सुधारों की आवश्यकता भी जताई और कहा कि इसे और
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गोष्ठी का शुभारंभ करते जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज |
प्रभावी बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुझाव साझा किए जाएंगे। विधान परिषद सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि 150 वर्षों के बाद भारतीय न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव आया है। पहले की न्याय संहिता केवल पुलिस प्रशासन को सशक्त करने के लिए थी, लेकिन नए कानून में जनता के अधिकारों और सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इस गोष्ठी से प्राप्त सुझावों को भारतीय न्याय संहिता में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि चित्रकूट, जो न्यायप्रिय भगवान श्रीराम की तपोस्थली है, वहां इस विषय पर मंथन होना एक शुभ संकेत है। कहा कि हमारे समाज में जब तक न्याय की भावना नहीं होगी, तब तक राष्ट्र निर्माण का सपना अधूरा रहेगा। इस मौके पर प्राचीन भारत की न्यायिक व्यवस्था एवं महाभारत पुस्तक का लोकार्पण किया गया और आए हुए अतिथियों को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके में न्यायविदों, शिक्षाविदों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
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