एसडीएम ने कार्यवाही का दिया आश्वासन
खागा, फतेहपुर, मो. शमशाद । तहसील के राजस्व कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में जारी हड़ताल के बीच अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित दस सूत्रीय ज्ञापन एसडीएम को सौंपकर एसडीएम न्यायालय के पेशकर और गालीबाज़ न्यायिक तहसीलदार को हटाने की मांग की। जिस पर एसडीएम ने तत्काल सुधार का आश्वासन देकर अधिवक्ताओ के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया। संघर्ष समिति के संयोजक अनिल सिंह एडवोकेट के ज्ञापन दिए जाने के बाद अब आगे सिर्फ न्यायिक तहसीलदार की कोर्ट का बहिष्कार जारी रहेगा ये फैसला एसडीएम पर निर्भर करता है कि वो कितनी जल्दी मांगे पूरी करवाते है। सभी मांगे पूरी होंगी उतनी जल्दी सब कुछ सामान्य हो जाएगा। राजस्व अदालतों और कार्यालयों के अंदर फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध अधिवक्ताओ की ये लड़ाई काफ़ी पुरानी है इससे पहले लगभग दो माह पूर्व भी खागा के अधिवक्ताओं द्वारा तत्कालीन उपजिलाधिकारी व
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एसडीएम को ज्ञापन सौंपते माडल बार के पदाधिकारी। |
जिलाधिकारी को तीन बार शिकायती पत्र देकर तहसील की राजस्व अदालतों और कार्यालयो में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग की गई थी। अधिवक्ताओ का कहना है की उनकी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। कई बार दी गई शिकायतों के बाद मिले सुधार के लिखित आश्वासन के बावजूद भ्रष्टाचार कम होने के बजाए बढ़ता गया। हालात इतने बदतर हो गए कि बिना रुपया दिए कोई काम नहीं होता। खतौनी में आदेशों की फीडिंग पाँच पाँच महीने तक नहीं होती। बैनामा के बाद दो तीन महीने तक केस दर्ज नहीं होता। हदबन्दी के वाद बिना पैसे पाँच पाँच सालों से अटके हैं। नामांतरण आख्या में लेखपाल वसूली करते है बार बार बहस के बाद भी समय से आदेश नहीं होता, नक़ल बाबू कई माह तक नक़ल नहीं बनाता। भ्रष्टाचार चरम पर पहुचनें के बाद अधिवक्ताओ ने भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए क्रमबद्ध तरीके से आर पार की लड़ाई शुरू की है। दूसरे दिन बुधवार को भी सभी अदालतों का बहिष्कार कर दिए गए ज्ञापन में आचरण हीन गालीबाज़ तहसीलदार न्यायिक का स्थानांतरण, एसडीएम पेशकार ज्ञानेंद्र सिंह का स्थानांतरण, कंप्यूटर खतौनी में पेंडिंग आदेश पंद्रह दिन में फीड कराने आदि की मांगे की गई है। इस मौके पर संघर्ष समिति में अधिवक्ता समिति में संयोजक अनिल सिंह, रामचंद्र श्रीवास्तव, चंद्र शेखर यादव, राम राखन सिंह, राजेंद्र सिंह, कृष्णा कांत, राजेश मौर्य, हनुमान सिंह, रामसखा, सुशील नारायण शुक्ला, इसराइल फ़ारूक़ी एडवोकेट शामिल रहे।
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