पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री, पूर्व जिलाध्यक्ष, पूर्व क्षेत्रीय मंत्री, प्रदेश महामंत्री भू-माफियाओं से मिले : मुखलाल
50 लाख रिश्वत प्रकरण में फंसे जिलाध्यक्ष ने मीडिया के सामने दी सफाई
फतेहपुर, मो. शमशाद । पचास लाख की रिश्वत प्रकरण में जांच का सामना कर रहे भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने खुद को निर्दाष बताते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, पूर्व जिलाध्यक्ष सहित पार्टी के ही नेताओं पर भूमाफियाओं से मिलीभगत कर सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करने व उनकी छवि धूमिल करने का आरोप लगाया। शुक्रवार को फूलबाग स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष ने जांच कमेटी की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे विपक्षियों से मिले होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने सनातनियों के लिए काम किया। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भूमाफियाओं से सरकारी ज़मीनों से अवैध कब्जे हटाये जाने के निर्देश पर उन्होंने जिले में सरकारी जमीन खाली कराने की मुहिम शुरू की जिसमे जनपद के विभिन्न स्थानों पर भूमाफियाओं द्वरा कब्जाई
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पत्रकारों से बातचीत करते भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल। |
ज़मीनें शामिल थी। उन्होंने अपनी ही पार्टी के पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पर 300 बीघे भूमि डंपर आदि अर्जित करने, पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष मिश्रा पर अपने रिश्तेदारों के साथ माफियाओं द्वारा कब्जाई भूमि की खरीद फ़रोख्त में शामिल होंने, पूर्व क्षेत्रीय मंत्री अन्नू श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता पर भूमाफियाओं से मिलीभगत करने, जांच में बचाने व माफियाओं के साथ कार्या में संलिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा नेताओ की अर्जित अवैध सम्पत्ति की जांच कराएं जाने की मांग किया। उन्होंने पार्टी के नेताओं पर विधानसभा चुनाव, नगर पालिका एवं नगर पंचायत चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को हराने के लिए काम करने का भी आरोप लगाया। भाजपा जिलाध्यक्ष ने खुद को पार्टी का कर्मठ कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि वह भाजपा में 1988 से हैं। जिसमें विद्यार्थी परिषद युवा मोर्चा से लेकर क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, आयोग के अध्यक्ष एवं वर्तमान में जिलाध्यक्ष का पद शामिल है। उन्होने कहा कि उनके द्वारा सरकारी भूमि को भूमाफियाओं के हाथों से छुड़ाने की मुहिम शुरू की गई है जिसके चलते भूमाफियाओं से मिले हुए नेता उनकी छवि धूमिल करने में लगे हैं। फर्जी ऑडियो एवं पत्र वायरल कर उन पर पचास लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया। जांच में उन्हें दोषी ठहराए जाने पर कमेटी की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक कैसे हो सकती है। जाँच कमेटी में शामिल सदस्यों पर विपक्ष से मिले होने का आरोप लगाया। उन्होंने डीएम समेत प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार की छवि धूमिल करने व भूमाफियाओं की जांच व कार्रवाई को लंबित रखने का भी आरोप लगाया। उन्होंने पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष मिश्रा पर चार वर्ष में दो सौ करोड़ रुपये की सम्पत्ति अर्जित करने का भी आरोप लगाया।
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