भरत चरित्र प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव विभोर, वर्तमान समय में हैं भरत चरित्र को अपनाने की आवश्यकता
रिपोर्ट देवेश प्रताप सिंह राठौर
झाँसी - श्री रामचरित मानस समिति के तत्वावधान में प्रेमनगर नगरा में स्थित कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज में 64वाँ संगीतमयी श्री रामचरित मानस सम्मेलन के तृतीय दिवस में समस्त भक्तों ने प्रवचन श्रवण किए। सर्वप्रथम पूजन-अर्चन एवं आरती की गयी उनके पश्चात भक्तों को प्रवचन श्रवण कराते हुए पूज्य पं.राजेंद्र पाठक रामायणी जी महाराज अयोध्या धाम ने कहा रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है। और साध्वी नीलम गायत्री मानस कोकिला चित्रकूट धाम ने कहा कि भरत का चरित्र अनुकरणीय है। भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं, वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है। भरत का विग्रह श्रीराम की प्रेम मूर्ति के समान है। जिससे भाई के प्रति प्रेम की
शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है, तो वह जीवन पशु के समान है। ओर कहा कि सभी को भरत और श्रीराम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए। और पूज्य अरुण गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि रामनाम से ही सारे संकट टल जाते हैं । कलयुग में केवल प्रभु का स्मरण ही भव से पार किए जाने का एक मात्र आधार है। हमे अपने जीवन को सफल बनाने के लिए राम नाम जप करना चाहिए। तथा इससे पूर्व श्रीरामचरित मानस का पूजन-अर्चन एवं आरती पं.श्याम सुंदर अवस्थी अध्यक्ष श्रीरामचरित मानस समिति,पं.सियाराम शरण चतुर्वेदी संचालक श्रीरामचरित मानस समिति,धर्मगुरु पं.रविकांत मिश्र महंत श्री हनुमान मंदिर रेलवे कारखाना झाँसी,रानू देवलिया वरिष्ठ भाजपा नेता,चौधरी धर्मेन्द्र सिंह,केदार राय,जितेंद्र तिवारी,आदेश चतुर्वेदी,अरुण सिंह,नरेश मिश्रा,दीपचंद्र,कैलाश नारायण मालवीय,डॉ.जितेंद्र अग्रवाल,इंद्ररपाल सिंह खनूजा,गोपी साहू,रामकुमार ज्ञानी,आत्माराम सिरोठिया,गजेंद्र नाथ बाजपेई,विनोद शर्मा,आर.एस. भदौरिया,कुलदीप अवस्थी,मृदुल शुक्ला,रानू महाराज,देवेंद्र श्रीवास्तव,विश्वनाथ मिश्रा,चंद्रमोहन तिवारी,हरिशंकर शर्मा आदि लोगो ने की। कार्यक्रम संचालन प्रधानाचार्य पं.सियारामशरण चतुर्वेदी ने किया। अंत मे आभार ज्ञापन श्याम सुंदर अवस्थी ने किया।
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