कानपुर, प्रदीप शर्मा - भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोन-3, कानपुर का 17वाँ संस्थान स्थापना दिवस समारोह बुधवार को आयोजित किया गया। इस अवसर पर ट्रैश-से-कैश (T2C-25): समृद्ध कृषि की दिशा में एक सतत् एवं अभिनव पहल पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया गया।कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों एवं निदेशक अटारी कानपुर द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, सदस्य, गवर्निंग बाॅडी, भाकृअनुप, नई दिल्ली ने कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की एवं उनके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने सदस्य, गवर्निंग बाॅडी, भाकृअनुप के कार्यों के बारे में और अनुभवों के बारे में बताया।
मुख्य अतिथि डा. राजबीर सिंह, उप महानिदेशक (कृ.प्र.), भाकृअनुप, नई दिल्ली वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े। उन्होंने भाकृअनुप-अटारी, कानपुर को 17वें स्थापना दिवस की बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-अटारी कानपुर सबसे बड़ा अटारी है जिसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के 75 जिले में 89 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। इस अवसर पर समृद्ध कृषि की दिशा में एक सतत् एवं अभिनव पहल पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की अच्छी पहल है।विशिष्ट अतिथि डा. रंजय कुमार सिंह, सहायक महानिदेशक कृ.प्र., भाकृअनुप, नई दिल्ली ने वर्चुअल माध्यम से बताया कि एफ.ओ.एम. का प्रशिक्षण मैनुअल हिन्दी एवं अंग्रेजी में तैयार किया जा रहा है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों युवराज अम्बरीश पाल सिंह, सचिव, बलवंत एजुकेशन सोसाइटी, आगरा, डा. अतर सिंह, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कानपुर तथा डा. एन.के. बाजपेयी, निदेशक (प्रसार), बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बाँदा ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डा. शान्तनु कुमार दुबे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि भाकृअनुप-अटारी, कानुर द्वारा केवीके के माध्यम से भारत सरकार की अनेक फ्लैगशिप परियोजनाओं विशेषकर निकरा, आर्या, एग्री-ड्रोन, सी.एफ.एल.डी. दलहन एवं तिलहन, फसल अवशेष प्रबंधन, माडल दलहन-तिलहन विलेज, एफ.ओ.एम., नेमा, प्राकृतिक खेती, सीसा, फार्मर फस्र्ट, एस.सी.एस.पी, टी.एस.पी आदि का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने संस्थान के इतिहास के बारे में बताया कि भाकृअनुप-अटारी, जोन तृतीय, कानपुर की स्थापना वर्ष 1979 में क्षेत्रीय समन्वयन इकाई के रूप में हुई थी। इसके उपरान्त 19 मार्च 2009 को इसे क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय में परिवर्तित कर दिया गया। वर्ष 2015 में क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय का नाम बदलकर कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) कर दिया गया। इस अवसर भाकृअनुप-अटारी, कानपुर के प्रकाशनों का विमोचन भी किया साथ ही चार किसानों एवं पाँच कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्षों का तथा संस्थान के 3 कर्मिर्यों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. राघवेन्द्र सिंह ने एवं धन्यवाद प्रधान वैज्ञानिक डा. अजय कुमार सिंह ने किया।
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