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Friday, March 28, 2025

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धर्म को जानने के लिए श्रीमद़ भागवत और रामायण का अध्ययन जरूरी : वेंकटेश

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन हुआ श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

बांदा, के एस दुबे । श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित वेंकटेश जी महाराज ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं कालिया मर्दन, गोवर्धन लीला सहित पूतना वध का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत ,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। इंदिरा नगर के दीपशिखा कालोनी स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिन चित्रकूट धाम से पधारे बेनी माधव पीठाधीश्वर बाल व्यास वेंकटेश जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही

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श्रीमद्भागवत कथा का बखान करते आचार्य वेंकटेश

यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यह ब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उनको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण उनको इंद्रदेव का पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्रदेव उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान
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मौजूद श्रोतागण।

श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्रदेव एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। मौके पर ही भगवान को छप्पन भोग लगाया गया। बाल व्यास जी ने भजन गाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा परीक्षित उर्मिला शुक्ला और वंदना सतीश शुक्ल ने भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद लगाकर भागवत भगवान की आरती उतारी। इस अवसर पर चंद्रिका प्रसाद तिवारी ,राममिलन तिवारी , ओमप्रकाश त्रिपाठी,अनिल त्रिपाठी,मनोज त्रिपाठी, महेन्द्र द्विवेदी,अशोक तिवारी,हरिशंकर त्रिवेदी, उदय त्रिपाठी , नीलम त्रिपाठी, विनीता त्रिपाठी, सुनील तिवारी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।


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