चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि - परमहंस संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलो से जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में चल रही नौ दिवसीय कथा में स्वामी रामकिंकर जी महाराज के कृपा पात्र बरेली से पधारे श्री उमाशंकर व्यास जी राम कथा का गान कर रहे है। कथा के तीसरे दिन सर्वप्रथम श्री सदगुरू सेवा संस्थान के अध्यक्ष विषद भाई मफत लाल की धर्म पत्नी श्रीमती रूपल बहन ने रामकथा पोथी और महाराज जी का पूजन अर्चन किया। तत्पश्चात उमाशंकर व्यास जी अपनी अमृतमय वाणी से देश के कोने कोने से आए कथा श्रोताओं को शिव पार्वती विवाह की कथा का रसपान कराते हुए बताया कि जब शंकर जी दुल्हा बने तो भोलेनाथ के सर पर जटाओं का मुकुट है मुकुट के ऊपर सर्प और कानों में छोटे छोटे सर्पों के कुंडल है हाथों में सर्पों के कंगन है और
बैल पर सवार है। उन्होंने शिव पार्वती कथा प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जब भोलेनाथ की बरात राजा हिमांचल के दरवाजे पहुंची तो पार्वती की मां मैना दरवाजे पर आरती उतारने और चन्दन लगाने शिव जी के आती है तो जहां तिलक लगाना है वहां बिच्छू लपटा है और सर पर सर्प फन फना रहा यह देखकर रानी मैंना अंदर चली जाती है और नारद जी को कोसने लगती है कि मेरी बेटी ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो ऐसा दुल्हा खोजा मेरी बेटी को बात बिगड़ती देख नारद ने सप्त ऋषियों और राजा हिमांचल को साथ लेकर माता मैना के पहुंचे और समझाया विवाह संपन्न हुआ। मां मैना के मन में था कि मेरी बेटी का ऐसा वर हो जिसका तीन चीज अनुपम हो वर अनुपम हो, कुल
अनुपम हो और घर अनुपम हो और ओ सब अनुपम भोलेनाथ में विराजमान है इनसे सुंदर वर नहीं हो सकता तो राजा हिमांचल और रानी मैना ने अपनी बेटी पार्वती का विवाह भोलेनाथ के साथ धूम धाम से कराकर विदा कर दिया। शिव पार्वती विवाह की कथा सुन सभी श्रोता भाव विभोर हो गए।इस मौके पर चित्रकूट के तमाम साधु संत, आम जनमानस, तमाम प्रांतों से पधारे गुरु भाई बहन एवं सदगुरू परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।
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