ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संस्थान - पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केंद्र प्रयागराज ने रैपुरा रेंज चित्रकूट में महुआ - एक बहुउपयोगी वृक्ष विषय पर एक दिवसीय जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों एवं वन क्षेत्र से जुड़े लोगों को महुआ वृक्ष के लाभ, उसके संरक्षण व पर्यावरणीय महत्व के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि दिलीप तिवारी, वन्यजीव प्रतिपालक, रानीपुर टाइगर रिजर्व चित्रकूट ने किया। उन्होंने महुआ वृक्ष के औषधीय, आर्थिक एवं पारिस्थितिकीय लाभों पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। कहा कि महुआ केवल वनस्पति ही नहीं, बल्कि यह आदिवासी व ग्रामीण समुदायों के लिए जीवन का आधार है। इसके फूल, फल, पत्तियां, छाल व बीज सभी किसी न किसी रूप में
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महुआ जागरूकता कार्यक्रम में एकत्रित सदस्य |
उपयोगी हैं। कार्यक्रम समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुमुद दूबे ने बताया कि महुआ के फूलों से जैविक खाद्य उत्पाद, पेय पदार्थ, तेल व औषधियां बनाई जाती हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती हैं। विशिष्ट अतिथि अपूर्व श्रीवास्तव, आरएफओ, रैपुरा ने कहा कि महुआ के बढ़ते व्यावसायिक उपयोगों को देखते हुए इसका उत्पादन व विपणन ग्रामीणों के लिए आय का एक बेहतर स्रोत बन सकता है। कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कृष्णा ग्रुप, प्रयागराज द्वारा महुआ के महत्व और उसके गुणों पर आधारित एक प्रेरणादायक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन का दायित्व डॉ कुमुद दूबे ने निभाया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि दिलीप तिवारी व डॉ कुमुद दूबे ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया एवं उन्हें महुआ के पौधे वितरित किए गए। कार्यक्रम में आशीष कुमार यादव, परियोजना सहायक, वन अधिकारी सहित 150 से अधिक किसान मौजूद रहे।
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